वर्तमान सदस्य (2017)
क्रम संख्या | निर्वाचन क्षेत्र | निर्वाचित सदस्य | दल संबद्धता (यदि है तो) |
---|---|---|---|
१ | पुरोला (एससी) | राजेश उराफ | कांग्रेस |
२ | गंगोत्री | गोपाल सिंह रावत | भारतीय जनता पार्टी |
३ | यमनोत्री | केदार सिंह | कांग्रेस |
४ | प्रतापनगर | विजय सिंह (गुड्डू पँवार) | भारतीय जनता पार्टी |
५ | टिहरी | किशोर उपाध्याय | कांग्रेस |
६ | घंसाली | बलवीर सिंह नेगी | कांग्रेस |
७ | देवप्रयाग | दिवाकर भट्ट | उत्तराखण्ड क्रान्ति दल |
८ | नरेन्द्र नगर | ओम गोपाल | उत्तराखण्ड क्रान्ति दल |
९ | धनौल्टी (एससी) | खजान दास | भारतीय जनता पार्टी |
१० | चक्राता (एसटी) | प्रीतम सिंह | कांग्रेस |
११ | विकासनगर | मुन्न सिंह चौहान | भारतीय जनता पार्टी |
१२ | सहसपुर (एससी) | राजकुमार | भारतीय जनता पार्टी |
१३ | लक्ष्मण चौक | दिनेश अग्रवाल | कांग्रेस |
१४ | देहरादून | हरबंस कपूर | भारतीय जनता पार्टी |
१५ | राजपुर | गणेश जोशी | भारतीय जनता पार्टी |
१६ | मसूरी | जोत सिंह गुंसोला | कांग्रेस |
१७ | ऋषिकेश | प्रेम चन्द अग्रवाल | भारतीय जनता पार्टी |
१८ | डोइवाला | त्रिवेन्द्र सिंह रावत | भारतीय जनता पार्टी |
१९ | भगवानपुर (एससी) | सुरेन्द्र राकेश | बहुजन समाज पार्टी |
२० | रुड़की | सुरेश चन्द जैन | भारतीय जनता पार्टी |
२१ | इक़बालपुर | चौधरी यशवीर सिंह | बहुजन समाज पार्टी |
22 | मंगलौर | काज़ी मु. निज़ामुद्दीन | बहुजन समाज पार्टी |
२३ | लंढौरा (एससी) | हरिदास | बहुजन समाज पार्टी |
२४ | लक्सर | प्रणव सिंह | कांग्रेस |
२५ | बहादराबाद | शहज़ाद | बहुजन समाज पार्टी |
२६ | हरिद्वार | मदन कौशिक | भारतीय जनता पार्टी |
२७ | लालढांग | तसलीम अहमद | बहुजन समाज पार्टी |
२८ | यमकेश्वर | विजय बड़थवाल | भारतीय जनता पार्टी |
२९ | कोटद्वार | सुरेन्द्र सिंह रावत | भारतीय जनता पार्टी |
३० | धूमाकोट | मे. जन. (से. नि.) भुवन चन्द्र खण्डूरी | भारतीय जनता पार्टी |
३१ | बीरोंखाल | अमृता रावत | कांग्रेस |
३२ | लैन्सडॉन | डॉ॰ हरक सिंह रावत | कांग्रेस |
३३ | पौड़ी | यशपाल बीनम | निर्दलीय |
३४ | श्रीनगर (एससी) | बृज मोहन कोटवाल | भारतीय जनता पार्टी |
३५ | थालीसैंण | डॉ॰ रमेश पोखरियाल "निशंक" | भारतीय जनता पार्टी |
३६ | रुद्रप्रयाग | मतबर सिंह कण्डारी | भारतीय जनता पार्टी |
३७ | केदारनाथ | आशा नौटियाल | भारतीय जनता पार्टी |
३८ | बद्रीनाथ | केदार सिंह फोनिया | भारतीय जनता पार्टी |
३९ | नन्दप्रयाग | राजेन्द्र सिंह भण्डारी | निर्दलीय |
४० | कर्णप्रयाग | अनिल नौटियाल | भारतीय जनता पार्टी |
४१ | पिण्डर (एससी) | गोविन्द लाल | भारतीय जनता पार्टी |
४२ | कपकोट | भगत सिंह कोश्यारी | भारतीय जनता पार्टी |
४३ | काण्डा | बल्वन्त सिंह भौरियाल | भारतीय जनता पार्टी |
४४ | बागेश्वर (एससी) | चन्दन राम दास | भारतीय जनता पार्टी |
४५ | द्वाराहाट | पुष्पेश त्रिपाठी | उत्तराखण्ड क्रान्ति दल |
४६ | भिकियासैंण | सुरेन्द्र सिंह जीना | भारतीय जनता पार्टी |
४७ | सल्ट | रणजीत रावत | कांग्रेस |
४८ | रानीखेत | करण माहरा | कांग्रेस |
४९ | सोमेश्वर (एससी) | अजय टाम्टा | भारतीय जनता पार्टी |
५० | अल्मोड़ा | मनोज तिवारी | कांग्रेस |
५१ | जागेश्वर | गोविन्द सिंह कुञ्जवाल | कांग्रेस |
५२ | मुक्तेश्वर (एससी) | यशपाल आर्य | कांग्रेस |
५३ | धारी | गोविन्द सिंह बिष्ट | भारतीय जनता पार्टी |
५४ | हल्द्वानी | बंशीधर भगत | भारतीय जनता पार्टी |
५५ | नैनीताल | खड़क दिंह बोहरा | भारतीय जनता पार्टी |
५६ | रामनगर | श्री दीवान सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
५७ | जसपुर | डॉ॰ शैलेन्द्र मोहन सिंघल | कांग्रेस |
५८ | काशीपुर | हरभजन सिंह चीमा | भारतीय जनता पार्टी |
५९ | बाज़पुर | अर्विन्द पाण्डे | भारतीय जनता पार्टी |
६० | पंतनगर-ग़दरपुर | प्रेमानन्द महाजन | बहुजन समाज पार्टी |
६१ | रूद्रपुर-किच्छा | तिलक राज बेहर | कांग्रेस |
६२ | सितारगञ्ज (एससी) | नारायण पाल | बहुजन समाज पार्टी |
६३ | खटीमा (एसटी) | गोपाल सिंह | कांग्रेस |
६४ | चम्पावत | वीणा महाराणा | भारतीय जनता पार्टी |
६५ | लोहाघाट | महेन्द्र सिंह मेहरा (माहू भाई) | कांग्रेस |
६६ | पिथौड़ागढ़ | प्रकाश पंत | भारतीय जनता पार्टी |
६७ | गंगोलीहाट (एससी) | जोगा राम टमटा | भारतीय जनता पार्टी |
६८ | डिडिहाट | बिशन सिंह चुफल | भारतीय जनता पार्टी |
६९ | कनालीछिना | मयुख सिंह | कांग्रेस |
७० | धारचूला (एसटी) | गगन सिंह | निर्दलीय |
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव, २०१२
क्र0सं0 | मा0 सदस्य का नाम | निर्वाचन क्षेत्र | द्ल |
---|---|---|---|
1 | श्री मालचंद | पुरोला | भारतीय जनता पार्टी |
2 | श्री प्रीतम सिंह पंवार | यमुनोत्री | उक्रांद |
3 | श्री विजयपाल सिंह सजवाण | गंगोत्री | कांग्रेस |
4 | श्री राजेन्द्र सिंह भण्डारी | बद्रीनाथ | कांग्रेस |
5 | डा0 जीत राम | थराली | कांग्रेस |
6 | डा0 अनुसूया प्रसाद मैखुरी | कर्णप्रयाग | कांग्रेस |
7 | श्रीमती शैला रानी रावत* | केदारनाथ | भारतीय जनता पार्टी |
8 | श्री हरक सिंह रावत* | रूद्रप्रयाग | कांग्रेस |
9 | श्री भीमलाल आर्य** | घनसाली | भारतीय जनता पार्टी |
10 | श्री मंत्री प्रसाद नैथानी | देवप्रयाग | निर्दलीय |
11 | श्री सुबोध उनियाल* | नरेन्द्रनगर | भारतीय जनता पार्टी |
12 | श्री विक्रम सिंह नेगी | प्रतापनगर | कांग्रेस |
13 | श्री दिनेश धनै | टिहरी | निर्दलीय |
14 | श्री महावीर सिंह | धनोल्टी | भारतीय जनता पार्टी |
15 | श्री प्रीतम सिंह | चकराता | कांग्रेस |
16 | श्री नवप्रभात | विकासनगर | कांग्रेस |
17 | सहदेव सिंह पुण्डीर | सहसपुर | भारतीय जनता पार्टी |
18 | श्री दिनेश अग्रवाल | धरमपुर | कांग्रेस |
19 | श्री उमेश शर्मा (काऊ)* | रायपुर | भारतीय जनता पार्टी |
20 | श्री राजकुमार | राजपुर रोड | कांग्रेस |
21 | श्री हरबंस कपूर | देहरादून कैन्ट | भारतीय जनता पार्टी |
22 | श्री गणेश जोशी | मसूरी | भारतीय जनता पार्टी |
23 | श्री हीरा सिंह बिष्ट | डोईवाला | कांग्रेस |
24 | श्री प्रेमचन्द अग्रवाल | ऋषिकेश | भारतीय जनता पार्टी |
25 | श्री मदन कौशिक | हरिद्वार | भारतीय जनता पार्टी |
26 | श्री आदेश चौहान | बी.एच.ई.एल.-रानीपुर | भारतीय जनता पार्टी |
27 | श्री चन्द्र शेखर | ज्वालापुर | भारतीय जनता पार्टी |
28 | श्रीमती ममता राकेश | भगवानपुर | कांग्रेस |
29 | श्री हरिदास | झबरेड़ा | बसपा |
30 | श्री फुरकान अहमद | पिरान कलियार | कांग्रेस |
31 | श्री प्रदीप बत्रा* | रूड़की | भारतीय जनता पार्टी |
32 | कुॅवर प्रणव सिंह चैम्पियन* | खानपुर | भारतीय जनता पार्टी |
33 | श्री सरवत करीम अंसारी | मंगलौर | बसपा |
34 | श्री संजय गुप्ता | लक्सर | भारतीय जनता पार्टी |
35 | श्री यतीश्वरानन्द | हरिद्वार | भारतीय जनता पार्टी |
36 | श्रीमती विजय बड़थ्वाल | यमकेश्वर | भारतीय जनता पार्टी |
37 | श्री सुन्दर लाल मन्द्रवाल | पौड़ी | कांग्रेस |
38 | श्री गणेश गोदियाल | श्रीनगर | कांग्रेस |
39 | श्री तीरथ सिंह रावत | चौबट्टाखाल | भारतीय जनता पार्टी |
40 | श्री दलीप सिंह रावत | लैन्सडौन | भारतीय जनता पार्टी |
41 | श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी | कोटद्वार | कांग्रेस |
42 | श्री हरीश रावत | धारचूला | कांग्रेस |
43 | श्री विशन सिंह चुफाल | डीडीहाट | भारतीय जनता पार्टी |
44 | श्री मयूख सिंह | पिथौरागढ़ | कांग्रेस |
45 | श्री नारायणराम आर्य | गंगोलीहाट | कांग्रेस |
46 | श्री ललित फर्स्वाण | कपकोट | कांग्रेस |
47 | श्री चन्दन राम दास | बागेश्वर | भारतीय जनता पार्टी |
48 | श्री मदन सिंह बिष्ट | द्वाराहाट | कांग्रेस |
49 | श्री सुरेन्द्र सिंह जीना | सल्ट | भारतीय जनता पार्टी |
50 | श्री अजय भट्ट | रानीखेत | भारतीय जनता पार्टी |
51 | श्रीमती रेखा आर्य*** | सोमेश्वर | भारतीय जनता पार्टी |
52 | श्री मनोज तिवारी | अल्मोड़ा | कांग्रेस |
53 | श्री गोविन्द सिंह कुंजवाल | जागेश्वर | कांग्रेस |
54 | श्री पूरन सिंह फर्त्याल | लोहाघाट | भारतीय जनता पार्टी |
55 | श्री हेमेश खर्कवाल | चम्पावत | कांग्रेस |
56 | श्री हरीश चन्द दुर्गापाल | लालकुवां | निर्दलीय |
57 | श्री दान सिंह भण्डारी**** | भीमताल | भारतीय जनता पार्टी |
58 | श्रीमती सरिता आर्य | नैनीताल | कांग्रेस |
59 | श्रीमती इन्दिरा हृदयेश | हल्द्वानी | कांग्रेस |
60 | श्री बंशीधर भगत | कालाढूंगी | भारतीय जनता पार्टी |
61 | श्रीमती अमृता रावत* | रामनगर | भारतीय जनता पार्टी |
62 | डा0 शैलेन्द्र मोहन सिंधल* | जसपुर | भारतीय जनता पार्टी |
63 | श्री हरभजन सिंह चीमा | काशीपुर | भारतीय जनता पार्टी |
64 | श्री यशपाल आर्य | बाजपुर | कांग्रेस |
65 | श्री अरविन्द पाण्डे | गदरपुर | भारतीय जनता पार्टी |
66 | श्री राकुमार ठुकराल | रूद्रपुर | भारतीय जनता पार्टी |
67 | श्री राजेश शुक्ला | किच्छा | भारतीय जनता पार्टी |
68 | श्री विजय बहुगुणा* | सितारगंज | भारतीय जनता पार्टी |
69 | डा0 प्रेम सिंह राणा | नानकमत्ता | भारतीय जनता पार्टी |
70 | श्री पुष्कर सिंह धामी | खटीमा | भारतीय जनता पार्टी |
71 | श्री रस्सैल वेलैन्टाइन गार्डनर | नामित | नामित |
नये राज्य का उदयः
9 नवंबर सन् 2000 को भारत के सत्ताईसवें राज्य के रूप में उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) नाम से इस प्रदेश का जन्म हुआ , इससे पहले ये उत्तर प्रदेश का ही एक हिस्सा था। यह 13 जिलों में विभक्त है, 7 गढ़वाल में - देहरादून , उत्तरकाशी , पौड़ी , टेहरी (अब नई टेहरी) , चमोली , रूद्रप्रयाग और हरिद्वार और 6 कुमाऊँ में अल्मोड़ा , रानीखेत , पिथौरागढ़ , चम्पावत , बागेश्वर और उधम सिंह नगर । यह पूर्व में नेपाल , उत्तर में चीन , पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि धरातल पर यदि कहीं समाजवाद दिखाई देता है तो वह इस क्षेत्र में देखने को मिलता है इसलिए यहाँ की संस्कृति संसार की श्रेष्ठ संस्कृतियों में मानी जाती है। इस भूमि की पवित्रता एवं प्राकृतिक विशेषता के कारण यहाँ के निवासीयों में भी इसका प्रभाव परिलक्षित होता है अर्थात् प्रकृति प्रदत शिक्षण द्वारा यहाँ के निवासी ईमानदार, सत्यवादी, शांत स्वभाव, निश्छल, कर्मशील एवं ईश्वर प्रेमी होते हैं।
उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन >>
उत्तराखण्ड का इतिहास एंव परिचय
भारत का शीर्ष भाग उत्तराखण्ड के नाम से जाना जाता है। जिसका उल्लेख वेद, पुराणों विशेषकर केदारखण्ड में पाया जाता है। देवताओं की आत्मा हिमालय के मध्य भाग में गढ़वाल अपने ऐतिहासिक एंव सांस्कृतिक महत्व तथा प्राकृतिक सौंदर्य में अद्भुत है। 55845 कि. मी. में फैला उत्तराखण्ड जहाँ 80 लाख जनसंख्या निवास करती है, उत्तरांचल दो शब्दों के मिलाने से मिला है - उत्तर यानि कि नोर्थ और अंचल यानि कि रीजन , भारत के उत्तर की तरफ फैला प्रान्त यानि कि उत्तरांचल। इसी उत्तराखण्ड में आदिगुरू शंकाराचार्य ने स्वर्गीय आभाh3 वाले बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री चारों धामों की स्थापना करके भारतीय संस्कृति के समन्वय की अद्भुत मिसाल कायम की है। ये चारों धाम की स्थापना करके भारत वासियों के ही नहीं विश्व जनमास के श्रद्धा विश्वास के धर्म स्थल हैं। यहाँ भिन्न- भिन्न जातियों के पशु-पक्षी, छोटी- छोटी नदीयां, पनी के प्राकृतिक झरने, बाँज, बुरॉस, देवदार के हरे पेड़, उँची- उँची चोटीयों पर सिद्धपीठ, प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर शहर, हरिद्वार, ऋषिकेश जौसे धार्मिक नगर, माँ गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ अपनी कल-कल ध्वनी करती हुई युगों से लाखों जीवों की प्राण रक्षा का भार उठाते हुए सम्पूर्ण मलिनताओं को धोते हुए अंतिम गंतव्य तक पंहुचती हैं।
हिमालय पर्वत की बर्फ से अच्छादित चोटियाँ तथा ऋतुओं के परिवर्तन के अद्वितीय सौंदर्य को देखकर मानव, देवता, किन्नर, गंधर्व ही नहीं पशु-पक्षी भी यही अभिलाषा रखते हैं कि वे अपना निवास इसी पवित्र धरती को बनाएं। महान संतों, देवताओं, ऋषियों, मुनियों, योगीयों, तपस्वीयों, ईश्वरीय अवतारों की तपो स्थली होने के कारण यह भूमि देव भूमि के नाम से विख्यात है। इस भूमि की पवित्रता एवं प्राकृतिक विशेषता के कारण यहाँ के निवासीयों में भी इसका प्रभाव परिलक्षित होता है अर्थात् प्रकृति प्रदत शिक्षण द्वारा यहाँ के निवासी ईमानदार, सत्यवादी, शांत स्वभाव, निश्छल, कर्मशील एवं ईश्वर प्रेमी होते हैं। इन गुणों को किसी के द्वारा सिखाने की आवश्यकता नहीं होती है अपितु वे स्वाभाविक रूप से उक्त गुणों के धनी होते हैं।
उत्तराखण्ड का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव जाति का। यहाँ कई शिलालेख, ताम्रपत्र व प्राचीन अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। जिससे गढ़वाल की प्राचीनता का पता चलता है। गोपेश्नर में शिव-मंदिर में एक शिला पर लिखे गये लेख से ज्ञात होता है कि कई सौ वर्ष से यात्रियों का आवागमन इस क्षेत्र में होता आ रहा है। मार्कण्डेय पुराण, शिव पुराण, मेघदूत व रघुवंश महाकाव्य में यहाँ की सभ्यता व संस्कृति का वर्णन हुआ है। बौधकाल, मौर्यकाल व अशोक के समय के ताम्रपत्र भी यहाँ मिले हैं। इस भूमी का प्राचीन ग्रन्थों में देवभूमि या स्वर्गद्वार के रूप में वर्णन किया गया है। पवित्र गंगा हरिद्वार में मैदान को छूती है। प्राचीन धर्म ग्रन्थों में वर्णित यही मायापुर है। गंगा यहाँ भौतिक जगत में उतरती है। इससे पहले वह सुर-नदी देवभूमि में विचरण करती है। इस भूमी में हर रूप शिव भी वास करते हैं, तो हरि रूप में बद्रीनारायण भी। माँ गंगा का यह उदगम क्षेत्र उस देव संस्कृति का वास्तविक क्रिड़ा क्षेत्र रहा है जो पौराणिक आख्याओं के रूप में आज भी धर्म-परायण जनता के मानस में विश्वास एवं आस्था के रूप में जीवित हैं। उत्तराखण्ड की प्राचीन जातियों में किरात, यक्ष, गंधर्व, नाग, खस, नाथ आदी जातियों का विशेष उल्लेख मिलता है। आर्यों की एक श्रेणी गढ़वाल में आई थी जो खस (खसिया) कहलाई। यहाँ की कोल भील, जो जातियाँ थी कालांतर में स्वतंत्रता प्राप्ति के बात हरिजन कहलाई। देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग यात्री के रूप में बद्रीनारायण के दर्शन के लिए आये उनमें से कई लोग यहाँ बस गये और उत्तराखण्ड को अपना स्थायी निवास बना दिया। ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी यहाँ रहने लगे। मुख्य रूप से इस क्षेत्र में ब्राह्मण एवं क्षत्रीय जाति के लोगों का निवास अधिक है। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद हरिद्वार, उधमसिंह नगर एवं कुछ अन्य क्षेत्रों को मिलाने से अन्य जाती के लोगों में अब बढोत्री हो गई है। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि धरातल पर यदि कहीं समाजवाद दिखाई देता है तो वह इस क्षेत्र में देखने को मिलता है इसलिए यहाँ की संस्कृति संसार की श्रेष्ठ संस्कृतियों में मानी जाती है। सातवीं सदी के गढ़वाल का एतिहासिक विवरण प्राप्त है। 688 ई0 के आसपास चाँदपुर, गढ़ी (वर्तमान चमोली जिले में कर्णप्रयाग से 13 मील पूर्व ) में राजा भानुप्रताप का राज्य था। उसकी दो कन्यायें थी। प्रथम कन्या का विवाह कुमाऊं के राजकुमार राजपाल से हुआ तथा छोटी का विवाह धारा नगरी के राजकुमार कनकपाल से हुआ इसी का वंश आगे बढा।
महाराजा कनकपाल का समय
कनकपाल ने 756 ई0 तक चाँदपुर गढ़ी में राज किया। कनकपाल की 37 वीं पीढ़ी में महाराजा अजयपाल का जन्म हुआ। इस लम्बे अंतराल में कोई शक्तिशाली राजा नहीं हुआ। गढ़वाल छोटे-छोटे ठाकुरी गढ़ों में बंटा था, जो आपस में लड़ते रहते थे। कुमाऊं के कत्यूरी शासक भी आक्रमण करते रहते थे। कत्यूरियों मे ज्योतिष्पुर (वर्तमान जोशीमठ) तक अधिकार कर लिया था।
महाराजा अजयपाल का समय
राजा कनकपाल की 37 वीं पीढ़ी में 1500 ई0 के महाराजा अजयपाल नाम के प्रतापी राजा हुए। गढ़वाल राज्य की स्थापना का महान श्रेय इन्ही को है। इन्होने 52 छोटे-छोटे ठाकुरी गढ़ों को जीतकर एक शक्तिशाली गढ़वाल का अर्थ है, गढ़ = किला, वाल = वाला अर्थात किलों का समुह। कुमाऊं के राजा कीर्तिचन्द व कत्यूरियों के आक्रमण से त्रस्त होकर महाराजा अजयपाल ने 1508 ई0 के आसपास अपनी राजधानी चाँदपुर गढ़ी से देवलगढ़ तथा 1512 ई0 में देवलगढ़ से श्रीनगर में स्थापित की। इनके शासनकाल में गढ़वाल की सामाजिक, राजनैतिक व धार्मिक उन्नति हुई।
शाह की उपाधिः महाराजा अजयपाल की तीसरी पीढ़ी में बलभद्र हुए। ये दिल्ली के शंहशाह अकबर के समकालीन थे, कहते हैं कि एक बार नजीबाबाद के निकट शिकार खेलते समय बलभद्र ने शेर के आक्रमण से दिल्ली के शंहशाह की रक्षा की। इसलिए उन्हे शाह की उपाधि प्राप्त हुई, तबसे 1948 तक गढ़वाल के राजाओं के साथ शाह की उपाधि जुड़ी रही।
गढ़वाल का विभाजनः -1803 में महाराजा प्रद्दुम्न शाह संपूर्ण गढ़वाल के अंतिम नरेश थे जिनकी राजधानी श्रीनगर थी। गोरखों के आक्रमण और संधि-प्रस्ताव के आधार पर प्रति वर्ष 25000 /- रूपये कर के रूप में गोरखों को देने के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई थी। इसी अवसर का लाभ उठाकर गोरखों ने दूसरी बार गढ़वाल पर आक्रमण किया और पूरे गढ़वाल को तहस-नहस कर डाला। राजा प्रद्दुम्न शाह देहरादून के खुड़ब़ड़ा के युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए और गढ़वाल में गोरखों का शासन हो गया। इसके साथ ही गढ़वाल दो भागों में विभाजित हो गया।
गढ़वाल रियासत (टिहरी गढ़वाल)- महाराजा प्रद्दुम्न शाह की मृत्यू के बाद इनके 20 वर्षिय पुत्र सुदर्शन शाह इनके उत्तराधिकारी बने। सुदर्शन शाह ने बड़े संघर्ष और ब्रिटिश शासन की सहयाता से, जनरल जिलेस्पी और जनरल फ्रेजर के युद्ध संचालन के बल पर गढ़वाल को गोरखों की अधीनता से मुक्त करवाया। इस सहयाता के बदले अंग्रेजों ने अलकनंदा व मंदाकिनी के पूर्व दिशा का सम्पूर्ण भाग ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया, जिससे यह क्षेत्र ब्रिटिश गढ़वाल कहलाने लगा और पौड़ी इसकी राजधानी बनी।
टिहरी गढ़वाल-
महाराजा सुदर्शन शाह ने भगिरथी और भिलंगना के सगंम पर अपनी राजधानी बसाई, जिसका नाम टिहरी रखा। राजा सुदर्शन शाह के पश्चात क्रमशः भवानी शाह ( 1859-72), प्रताप शाह (1872-87), कीर्ति शाह (1892-1913), नरेन्द्र शाह (1916-46) टिहरी रीयासत की राजगद्दी पर बैठे। महाराजा प्रताप शाह तथा कीर्ति शाह की मृत्यु के समय उत्तराधिकारियों के नबालिग होने के कारण तत्कालीन राजमाताओं ने क्रमशः राजमाता गुलेरिया तथा राजमाता नैपालिया ने अंग्रेज रिजेडेन्टों की देख-रेख में (1887-92) तथा (1913-1916) तक शासन का भार संभाला। रियासत के अंतिम राजा मानवेन्द्र शाह के समय सन् 1949 में रियासत भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गई।
द्वारा जय सिंह नेगी
उत्तराखण्ड के जिलेः
उत्तराखण्ड को 13 जिलों में विभक्त किया गया है 7 गढ़वाल में - देहरादून , उत्तरकाशी , पौड़ी , टेहरी (अब नई टेहरी) , चमोली , रूद्रप्रयाग और हरिद्वार और 6 कुमाऊँ में अल्मोड़ा , रानीखेत , पिथौरागढ़ , चम्पावत , बागेश्वर और उधम सिंह नगर ।
पौड़ी गढ़वाल
यह कान्डोंलिया पर्वत के उतर तथा समुद्रतल से 5950 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यहां से मुख्य शहर कोटद्वार, पाबौ, पैठाणी, थैलीसैण, घुमाकोट, श्रीनगर, दुगड्डा, सतपुली इत्यादी हैं। ब्रिटीश शासनकाल में यहाँ राज्सव इकट्ठा करने का मुख्य केन्द्र था। यहाँ पं. गोविन्द वल्लभ पंत इंजिनियरिंग कालेज भी है। इतिहासकारों के अनुसार गढ़वाल में कभी 52 गढ़ थे जो गढ़वाल के पंवार पाल और शाह शासकों ने समय समय पर बनाये थे। इनमें से अधिकांश पौड़ी में आते हैं। यहाँ से 2 कि. मी. की दूरी पर स्थित क्युंकलेश्वर महादेव पौड़ी का मुख्य दर्शनीय स्थल है जो कि 8वीं शताब्दी में निर्मित भगवान शिव का मंदिर है। यंहा से श्रीनगर घाटी और हिमालय का मनोरम दृष्य दिखाई देता है। यहाँ पर कण्डोलिया देवता और नाग देवता के मंदिर भी धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं। यहाँ से ज्वालपा देवी का मंदिर शहर से 34 कि. मी. दूर है। यहाँ प्रतिवर्ष नवरात्रियों के अवसर पर दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार 100 कि. मी. और ऋषिकेश से 142 कि. मी.की दूरी पर स्थित है।
उत्तराखण्ड की प्रमख नदियां
गंगा, यमुना, काली, रामगंगा, भागीरथी, अलकनन्दा, कोसी, गोमती, टौंस, मंदाकिनी, धौली गंगा, गौरीगंगा, पिंडर नयार(पू) पिंडर नयार (प) आदी प्रमुख नदीयां हैं।
उत्तराखण्ड के प्रमुख हिमशिखर
गंगोत्री (6614), दूनगिरि (7066), बंदरपूछ (6315), केदारनाथ (6490), चौखंवा (7138), कामेत (7756), सतोपंथ (7075), नीलकंठ (5696), नंदा देवी (7817), गोरी पर्वत (6250), हाथी पर्वत (6727), नंदा धुंटी (6309), नंदा कोट (6861) देव वन (6853), माना (7273), मृगथनी (6855), पंचाचूली (6905), गुनी (6179), यूंगटागट (6945)।
उत्तराखण्ड के प्रमुख ग्लेशियर
1. गंगोत्री 2. यमुनोत्री 3. पिण्डर 4. खतलिगं 5. मिलम 6. जौलिंकांग, 7. सुन्दर ढूंगा इत्यादि।
उत्तराखण्ड की प्रमुख झीलें (ताल)
गौरीकुण्ड, रूपकुण्ड, नंदीकुण्ड, डूयोढ़ी ताल, जराल ताल, शहस्त्रा ताल, मासर ताल, नैनीताल, भीमताल, सात ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, श्यामला ताल, सुरपा ताल, गरूड़ी ताल, हरीश ताल, लोखम ताल, पार्वती ताल, तड़ाग ताल (कुंमाऊँ क्षेत्र) इत्यादि।
उत्तराखण्ड के प्रमुख दर्रे
बरास- 5365मी.,(उत्तरकाशी), माणा- 6608मी. (चमोली), नोती-5300मी. (चमोली), बोल्छाधुरा-5353मी.,(पिथौरागड़), कुरंगी-वुरंगी-5564 मी.( पिथौरागड़), लोवेपुरा-5564मी. (पिथौरागड़), लमप्याधुरा-5553 मी. (पिथौरागड़), लिपुलेश-5129 मी. (पिथौरागड़), उंटाबुरा, थांगला, ट्रेलपास, मलारीपास, रालमपास, सोग चोग ला पुलिग ला, तुनजुनला, मरहीला, चिरीचुन दर्रा।
उत्तराखण्ड के वन अभ्यारण्य
1. गोविन्द वन जीव विहार 2. केदारनाथ वन्य जीव विहार 3. अस्कोट जीव विहार 4. सोना नदी वन्य जीव विहार 5. विनसर वन्य जीव विहार